#Constitution_Of_SupremeGod

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1. भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।

2. शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, कुरड़ियों पर पेटश भरने के लिए जाएगा। बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
नर से फिर पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।

3. तम्बाकू सेवन करना महापाप है | तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।।
यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। तमाखू का सेवन करने से गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।

4. बेटी देवी का स्वरूप है। बेटी को गर्भ में मार दिया जाता है जो महापाप है।

5. जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध संबंध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है।
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।

6. कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह सत्तर जन्म तक कुत्ता बनता है। गंदी नालियों का पानी पीता है व गंद खाता है।
मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।

7. शराब पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों के सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं।
सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।

8. नशा करता है नाश। नशीली चीजों का सेवन तो दूर रहा किसी को नशीली वस्तु लाकर भी नहीं देनी चाहिए।
गरीब, भांग तम्बाखू पीव हीं, सुरा पान सैं हेत। गौस्त मट्टी खाय कर, जंगली बनें प्रेत।।

9. परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
पुरूष यति (जति) सो जानिये, निज त्रिया तक विचार।
माता बहन पुत्री सकल और जग की नार।।

10. जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओच्छी ठौर न खोए।।

11. बच्चे को 3 वर्ष की आयु में पूर्ण संत से उपदेश दिला कर भक्ति करवानी चाहिए।

12. ब्याज नहीं लेना चाहिए। ब्याज लेने वालों का सर्वनाश हो जाता है। दुर्गति होकर मृत्यु होती है। इन ओछे हथकंडों से धनी नहीं बन सकते। धनी परमात्मा की रजा से बनते हैं।

13. छुआछूत, ऊंच-नीच व जात-पात का भेदभाव रखने वाले परमात्मा के दोषी हैं। सब परमात्मा के बंदे हैं। परमात्मा किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। हम क्यों करें।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिन्दु मुसलिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ।।

14. जो व्यक्ति परमात्मा के भक्त को सताते हैं, वह परमात्मा को दुखी करते हैं। जीव परमात्मा का अंश है तो अपने अंश के सुख-दुःख का परमात्मा को भी अहसास होता है।
कबीर कह मेरे जीव को दुःख ना दिजो कोय, भक्त दुःखाये मैं दुःखी, मेरा आपा भी दुःखी होय।

15. अश्लील फिल्में देखना ,नाटक देखना, जुआ खेलना, ताश खेलना मना है। इससे मनुष्य जीवन का अनमोल समय नष्ट होता है जो मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है।
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार। तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।

16. कबीर, हरि के नाम बिना, नारि कुतिया होय।
गली-गली भौकत फिरै, टूक ना डालै कोय।।
परमात्मा के नाम जाप बिना स्त्री अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करती है। फिर निःवस्त्र होकर नंगे शरीर गलियों में भटकती रहती है, भूख से बेहाल होती है।

17. किसी को गाली या अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।
कबीर, आवत गाली एक है, उलटत होय अनेक ।
कहै कबीर नहिं उलटिये, रहै एक की एक ।।

18. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से कमाया गया पैसा स्वयं का तथा परिवार का नाश कर देता है। पर धन को विष समान समझें।

19. जीव हत्या महापाप है। मांस खाने वाला महानरक का भागी बनता है।
कबीर, जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप तें भिस्त गया नहिं कोय।।

20. देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं।
कबीर परमेश्वर की भक्ति करो जिससे पूर्ण मुक्ति हो।
गरीब, भूत रमै सो भूत है, देव रमै सो देव। राम रमै सो राम है, सुनो सकल सुर भेव।।

21. परमात्मा सतभक्ति करने वालों के घोर अपराध भी क्षमा कर देता है।
कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धर्यो, भयो पाप को नाश।
मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराणे घास।।

22. गुरु द्रोही के पास जाने वाला भक्ति रहित होकर नरक व लख चौरासी में चला जाएगा।
गरीब, गुरु द्रोही की पैड़ पर, जे पग आवै बीर।
चौरासी निश्चय पड़ै, सतगुरु कहैं कबीर।।

23. जो न्यायाधीश बेगुनाह को सजा करता है, अन्याय करता है तो उसे घोर कष्ट मिलता है तथा नर्क व चौरासी में जाता है।

24. मनुष्य को धर्म जाति में विभाजित होकर झगड़े नहीं करना चाहिए।
जात-पात सब झूठ है, भरम पड़ो मत कोई।
जाति नहीं जगदीश की, औरन की क्या होई।।

25. विवाह में दहेज का लेनदेन नहीं करना चाहिए।
दहेज दुश्मन शांति का, करै नाते में दरार।
कन्यादान से बड़ा दहेज नहीं, अठरा वर्ष का प्यार।।
जिनको तत्वज्ञान नहीं, वो माँगत है भठियारे,
कन्या के बदले जो धन (दहेज) लेत है, नरक गामी सारे।

26. विवाह के पश्चात् पति-पत्नी का कर्तव्य बन जाता है कि दोनों जति-सति की मर्यादा का निर्वाह करें।
जती-सती का जोड़ा, कभी नहीं दुख का फोड़ा

27. जब तक सच्चा गुरु न मिले, तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए। झूठे गुरु को तुरन्त त्याग देना। सतगुरु बिना मोक्ष असंभव है।
जब तक गुरु मिले नहीं साचा, तब तक गुरु करो दस पाँचा।
कबीर झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न लागै वार। द्वार न पावै मोक्ष का, रह वार का वार।।

28. कबीर, हरि के नाम बिन, राजा रषभ होय।
मिट्टी लदे कुम्हार के, घास न नीरै कोए।।
भगवान की भक्ति न करने से राजा गधे का शरीर प्राप्त करता है।

29. अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है।
कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।

30. परमात्मा की भक्ति का लाभ उसी को होता है जो परमात्मा की महिमा पर पूर्ण विश्वास रखता है।

31. सतगुरू शरण ग्रहण नहीं की तो अंत समय में भक्तिहीन प्राणी के कंठ को यमदूत बंद करते हैं। केवल सतगुरू जी उस आपत्ति के समय सहायता करते हैं।

अंत समय जम दूत गला दबावैं। ता समय कहो कौन छुड़ावै।।
सतगुरू एक छुड़ावन हारा। निश्चय कर मानहु कहा हमारा।।

32. किसी की भी निन्दा न करनी चाहिए और न सुननी चाहिए।
"तिनका कबहू न निन्दीये, जो पांव तले हो। कबहु उठ आखिन पड़े, पीर घनेरी हो।।"

33. परमेश्वर का संविधान :-
समाज सुधार और आत्म उद्धार, तत्वज्ञान से होय।
दूसरे के धन पर जो रहे आश्रित, दुगुना निर्धन होय।।

34. जो संत शास्त्रविरूद्ध साधना करवा कर अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है, उसको भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।

35. भगवान का संविधान सिखाता है प्रेम, शांति व भाईचारे से रहना चाहिए, हिंसा से दूर रहना चाहिए।

36. काल भगवान का संविधान है जैसा करेगा वैसा ही भरेगा।कबीर भगवान का संविधान है शास्त्रानुकूल सत भक्ति करने पर पिछले पाप नष्ट हो जाते हैं तथा साधक आगे पाप नहीं करता और सुखी रहता है।

37. वो लोग काफ़िर हैं जो संतों से अड़ते हैं।

38. भगवान का संविधान है कि बिना भूख के खाना नहीं चाहिए।

'वो काफिर जो अनभावत खायीं।'

39.भगवान का संविधान कहता है कि हमने कुछ गलत विचार मन में कर भी लिया तो उसका भी पाप लगता है। सोचिए करने पर क्या होगा।

40. पूर्ण परमात्मा की भक्ति न करना भगवान के संविधान के खिलाफ है। सतगुरु और भगवान में कोई अंतर नहीं है।

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